गणपति थाने मनाया,
माने सुद बुद आवे छ।
भूली विद्या रा सुमरण,
गणपति देव करावे छ।।टेर।।
माता गवरी शंकर का,
गणपति पुत्र कहावे छ।
मोटा मन्दर तुम्हारा,
दुनिया दरसण पावे छ।।१।।
सावण अन्तिम रविवारो,
थारो मेलो आवे छ।
दुनिया आवे परसादी लावे,
भेंट चढ़ावे छ।।२।।
राजा परजा बोपारी वो थाने,
सदा मनावे छ।
मंगलकारी कामां में थाने,
नूत बुलावे छ।।३।।
बिगड्या कारज होवे तो,
कृपा कर सुलझावे छ।
बल बुद्धि विद्या वरदायक,
विघन नसावे छ।।४।।
कल्याण भारती सतगरू ,
गणपति का रूप लखावे छ।
गणपति महिमा सतसंग में,
सेवा भारती गावे छ।।५।।
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