अब मोहे ऐसा सतगुरू भावे मोक्ष द्वार बतावे ab mohe aisa satguru bhave moksh dwar batave

 

अब मोहे ऐसा सतगुरू भावे।

शब्‍द सुणाय भरमना मेटे,

मोक्ष द्वार बतावे।।टेर।।

 

कर इच्‍छा पुरषार्थ कर लो,

दु:ख नाश हो जावे।

परमानन्‍द की करो खोजना,

तब आनन्द उर थावे।।1।।

 

जीव ब्रह्म की जाणो एकता,

ऐसा दृढ़ करावे।

चिताभास अविद्या त्‍यागो,

चेतन एक बतावे।।2।।

 

जग मिथ्‍या प्रपंच न देखो,

झूठा लाड लड़ावे।

जिन पर महर भई सतगरू की,

दुविधा दूर भगावे।।3।।

 

ज्ञान स्‍वरूपजी सतगुरू मिलिया,

भिन्न भिन्न कह समझावे।

केशाराम समझ कर गावे,

भरम भूत भगावे।।4।।

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