आछी परणाई रे नुगरा माल ने जमले जाबा कोनी देय aachi parnai nugra maal ne jamle jaba koni dey

 

आछी परणाई रे नुगरा माल ने,

जमले जाबा कोनी देय।

मेले जाबा कोनी देय,

जमले जाती तो सतगरू पूजती।।टेर।।

 

के तो बणा तो बन की रोजड़ी।

रहती जंगल के माय,

धोरा धोरा रो पाणी पीवती।।1।।

 

के तो बणा तो बन की पीपली ।

ज्‍यांरी ठण्‍डी ठण्‍डी छांव,

आयोड़ा सतगरू सा छाया बैठता ।।2।।

 

के तो बणा तो बन की बावड़ी।

ज्‍यांरो ठण्‍डो ठण्‍डो नीर,

आता सतगरू सा  न्‍हाता धोवता।।3।।

 

के तो बणा तो बन की कोयल्‍या।

बोलू मीठा मीठा बोल,

आतोड़ा सतगरू सा बोली ओलखता।।4।।

 

राणी रूपा की कीजे बीणती,

ज्‍यांरो अमरापुर में पास,

ओ जग तो दीखे माने धुंधलो।।5।।

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