नंगे करो माये निरगुण बोले मारो भक्‍त ख्‍याली सा nage karo maaye nirgun bole maro bhakt khyali sa

 भिन्‍न भिन्‍न कर संता में हाली,

नामो करण ने गाई सा।

सुर का साधू सेवा साजे,

कूड़ा केवे खाली सा।।1।।


नंगे करो माये निरगुण बोले,

मारो भक्‍त ख्‍याली सा।।टेर।।


पीव पति जी मारो उठे बिराजे,

नरभे जोलो नाभी सा।

चेतन पुरूष मारो उठे बिराजे,

वांऊ मारी सुरता लागी सा।।2।।


उर्द सुर्द गुर्जा उठी,

गण कस्‍तूरी घाली सा।

भाव का साधू लपटा लेवे,

भर फूला की जाली सा।।3।।


रामदेवरा में रचना देखी,

रूम रूम में राची सा।

रजुकार से उड़े धधुकार,

जोत जलामल जागी सा।।4।।


रामलालजी माने दसखत दीदा,

वांऊ मारी सुरता लागी सा।

केवे कलाल मानजी सुण मारा अबगत,

रेख कलमा की राखी सा।।5।।

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