गरू लीला अधकार भाया साम्‍भलो तत् सार है guru leela adhakar bhaya sambhalo tat saar hai



गरू लीला अधकार भाया,

साम्‍भलो तत् सार है।।टेर।।

 

गरूजी मल्‍या ज्ञान दीदा,

नीतर रहता थूल है।

थूल तो बम्‍बूल जाके,

लच्‍छा लागे न सूल है।।

 

थूल कांटा अंतर कपटी,

जाय मलसी धूल है।

अधूरिया तो उरा रहग्‍या,

पूगे भरला सूर है।।1।।

 

देखा देख गरू कीदा,

कायर ढाब्‍या भार है।

जूत ता तो जूड़ी नाकी,

बैठा हिम्‍मत हार है।।

 

नन्‍द्या लागो नाव की,

बगड़ बर्री गार है।

पगतल्‍ये लागो पाप,

छोड़ी धर्म की धार है।।2।।

 

मन मेरा अजड़ नारा,

माने नहीं लगार है।

गरू मल्‍या नाथ बाली,

जोया गाड़ी भार है।।

 

जूड़ी जोया ज्ञान की,

सइस कीदी आर है।

सत के छीले चालरिया,

गरूजी हाकणहार है।।3।।

 

सतगुरां सार दीदी,

लोपो मती कार है।

कार लोप्‍या संसार में,

बगड़ो बारम्‍बार है।।

 

बगड्या लगा न सुधरे,

अनेक करो उपकार है।

अदरबम्‍म में जा ऊबो,

डूबो काली धार है।।4।।

 

चौरासी में भटकता,

जलम बीत्‍या चार है।

शरण मेल्‍या श्‍याम के,

काटी जम की जाल है।।5।।

 

कृपा व्‍ही गरूदेव की,

हद्द पेले पार है।

रटना दीदी नाव की,

हैग्‍या बेड़ा पार है।।5।।

 

अन्‍त आंधा फरे बांधा,

जाय जमकी गेल है।

माया जाने मोह लिया,

ज्‍यूं रूखा लपटी बेल है।।

 

करमा माये कल्‍लरिया,

लोभ ने दूरो मेल है।

सत् की सार पकड़ले,

देख सत् का खेल है।।6।।

 

संत होय गरू चरणां लागो,

मायला ने मार है।

काचे धागे बांध्‍या,

तोड़ो मती तार है।।

 

तार टूटा राम रूठ्या,

कोपेला करतार है।

जीवता जूण भुगतो,

मूवा पड़सी मार है।।7।।

 

संत होय लूल्‍या कोयने,

करड़ो सांधे भार है।

मन माता फरे ताता,

बचन बचन में गाल है।।

 

जाड़ाई में जलरिया घट में,

घोर अन्‍धार है।

मटट मंगजाई छोड़े कोयने,

कटट खांचे भार है।।8।।

 

 

संसारी सौदो मत करो,

जावेला पूंजी हार है।

सौदा सतगुरां सोंपिया,

अमर धन बोपार है।।

 

खरच्‍योड़ा खूंटे कोयने,

चौगुणा बिस्‍तार है।

हाट खुलाई गुरां हीरा की,

नाव की टकसाल है।।9।।

 

दुख दोख का कुण्‍ड भरिया,

पाप की पाज है।

झूठला के घाट ऊपरे,

नुगरा को ठाट है।।

 

स्‍वार्थी भाई सांपड़े,

मोह का भरिया माट है।

भरम भाहळा में भै रिया,

जम कूटे टाट है।।10।।

 

सूरा वांने जाणिये,

शीश न धड़ पास है।

मन वांका मर गिया,

आठ पोर उदास है।।

 

नेम धर्म ढाबियो,

पाले विस्‍वास है।

बार की तो आस पूरे,

आप रहे निराश है।।11।।

 

नट नुगरा न्‍यारा टलग्‍या,

अलगा राख्‍या आप है।

करमा माये कलरिया,

जप्‍या कोयने जाप है।।

 

जांने सतगरू न मल्‍या,

पेला भो का पाप है।

अन्‍त में जावे एकला,

धक्‍का खाये धाप है।।12।।

 

सत् का घाट परे,

धर्म की पाज है।

सुख का सायर भर्या,

गुराजी का राज है।।

 

सांचे धोरे सांपड़े,

ज्‍यांका सदा सुधरे काज है।

आप तलब गुण भेटिया,

सील लीदा साध है।।13।।

 

गरूजी मल्‍या नेण खुल्‍या,

तुर्ये नेत्र भाल है।

भाल खुल्‍या निहाल हेग्‍या,

आठ पोर उजास है।।

 

गगन मण्‍डल में बाजा बाजे,

राचरिया राच है।

ढोल नंगारा नोबत बाजे,

शंख की आवाज है।।14।।

 

जीव मेरा जाचक बण्‍या,

मन बण्‍या मणिहार है।

दुरबलिया पर दया करज्‍यो,

भोगी चढ़ज्‍यो भार है।।

 

अनेक संत आगे तार्या,

अबके मांकी बार है।

अलगा मत करो बाबजी,

लागा थांकी लार है।।15।।

 

गरूजी मल्‍या गोविन्‍द मलाया,

प्रेम के परकाश है।

देव दरशे नूर बरशे,

बरशे एकण सार है।।

 

उगम धोरे लागिया,

छोड़ी कुल की सार है।

सुरता असमान लूम्‍बी,

लूम्‍बी एकण तार है।।16।।

 

मा मंगता की बीणती,

सामो मती नाल है।

समन्‍द सायर में पड्या,

करदे पेले पार है।।

 

आप करता आसान बाबजी,

लागा आपकी लार है।

भवसागर के मायने,

काटर्या आवागमन की जाल है।।17।।

 

भक्ति का नज दान दीदा,

गरूजी दातार है।

गुजर गरीबो कनीरामजी बोले,

सुणज्‍यो शशियार ।

 

सुणता व्‍हे तो पालज्‍यो,

सायर वाली कार।

ईष्‍ट छोड्या भ्रष्‍ट होवे,

करोड़ मले धुरकार।।18।।


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