कनीराम देख्‍या बाग बगीचा kaniram dekhya baag bagicha bhajan lyrics


 

धोरी धर्म में केवा मेवा,

लज्‍या धर्म में अमृत ऐवा।

आ तुग तन में मलीसा,

कनीराम देख्‍या बाग बगीचा।।टेर।।


प्रथम कली फूल चारों ही दरसे,

बारा आठ बतीसा।

नौ दस चार दोवा बचे देवा,

अन्‍तर तक दलीचा।।1।।


दूजी कली फूल षट् दरसे 

झलमल जोत जगीसा।

तरपोल्‍या तलाव पाळ बना पाणी,

जल में जल पलीता।।2।।


तीजी कली फूल दसो दरसे,

डाळा पांच पचीसा।

एक डाळ पर कोयल बैठी,

उड़ने उगम घीसा।।3।।


चौथी कली फूल दवादसो ऊपरे,

वरखा उलट चढ़ीसा।

बना बादल एक बरखण लाग्‍यो,

नरमल नीर अमीसा।।4।।


पांचवी कली फूल षोडस दरसे,

सूरता ने मोज मलीसा।

बाजा बाजे गहरो गाजे,

अनहद राग छतीसा।।5।।


छठी कली फूल दौनो दरसे,

तारा में तीन मलीसा।

नैण बेण बच्‍चे नैना नीका,

जाणे जैसा जिणासा।।6।।


उलट सुलट कटजड़ा कहिये,

ऊंचा जैसा ही नींचा।

नींचीऊ नारी ऊंची आई,

ऐका में आण मलीसा।।7।।


आठ अठोत्‍तर सोरस दरसे,

तीनू नोय बत्‍तीसा।

सहस नाम उगम के आगे,

चेतन कंवल इक्‍कीसा।।8।।


डार भार बना सपति कही,

बाड़ी बरण बणीसा।

साढ़ा तीन सौ लाखो चेड़ा,

रूख करोड़ी बरषा।।9।।


बाग माय गढ़ कहिये,

गढ़ में मन्‍दर देसा।

मन्‍दर में नज मन्‍दर,

आपी रूपी दूसा।।10।।


कृपा कर गरू बागा लेग्‍या,

सुरता बहोत फरीसा।

गुजर गरीबो 'कनीरामजी' बाेेेलेे,

चींजा अन्‍त मलीसा।।11।।  

  



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