सरस्वती मात गजानन्द सिवरू,
हृदय उजासो थाको।
रिद्धि सिद्धि का भण्डार खोल दो,
अड़भे बाणी भाको सांवरा....।।1।।
चाकर हूं चरणां को,
अतरी भूल कई राखो,
अन्दाता चाकर हूं चरणां को,
बेड़ी बन्द धणिया को सांवरा...।।टेर।।
सोवनी द्वारकाऊ कशन पधार्या,
भलो कियो तंवरा को।
अजमल जी की आशा पूर दी,
मेटियो काल को सांसो।।2।।
छोटा रामदे बड़ा बीरमदे,
जोड़ो बण्यो भायां को।
माता मैणादे करे आरती,
कलश थरप्यो पीरां को।।3।।
अठारा पदम दल सेना राम की,
रावण बणग्यो वांको।
रामचंद्रजी की फौजा माये,
हनुमान को हांको।।4।।
धनसुखराम मल्या गरू पूरा,
माथे हाथ धण्या को।
इशरदास असी पद भाके,
पत पाना की राको।।5।।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें