बलिहारी जाऊ मारा सतगरू की,
मारा भूल्या भरम सब धोय।।टेर।।
जब तक सतगरू न मिल्या जी,
रही भ्रम में सोय।
सतगरू का उपदेश से जी,
सच्ची लागी वो मेरे लोय।।1।।
करम काट कोयला करिया जी,
धरिया अगन पर जार।
लोभ लालच को जालता जी,
सतगरू मिल्या जी लुहार।।2।।
पांच पचीसो सारा जलाया,
माया दूर भगाय।
ज्ञान सबद की फूंक से जी,
सुरत हरि में लाय।।3।।
दीपक ज्योति मिल गई जी,
हुयो अन्धेरो नाश।
बार बार मीरां कहे जी,
सतगरू मिल्या जी रैदास।।4।।
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