आप ताे अविनाशी हेली हद्द पेली सीव।।टेर।।
धरती ज्यूं परमेश्वर हेली,
आबा माये जीव।
आबा ऊठी धरती में मलग्या,
जीव पलट हेग्या पीव।।1।।
पवन ज्यूं परमेश्वर हेली,
भभूल्यां में जीव।
भभूल्यों पवन में मलग्यो,
जीव पलट हेग्या पीव।।2।।
जल ज्यूं परमेश्वर हेली,
बरबड़ा में जीव।
बरबड़ो जल में मलग्यो,
जीव पलट हेग्या पीव।।3।।
अग्नि ज्यूं परमेश्वर हेली,
तड़ींगा में जीव।
तड़ींगाे अग्नि में मलग्यो,
जीव पलट हेग्या पीव।।4।।
जल थल अग्नि पवणा पाणी,
ब्रह्मा विष्णु महेश शिव है।
अन्त समया में जावे एकलो,
न्यारी देवे नीव।।5।।
रम रम करता राम मलग्या,
पिव पिव करता पीव।
गुजर गरीबो 'कनीरामजी' केवे,
मटगी जीव की रीव।।6।।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें