आप समर्थ बचाया गुरां सा डाकण सब जुग खाया aap samarth bachaya gura sa dakan sab jug khaya

 


जो उबर्या जो गुराजी के शरणे,

आप समर्थ बचाया।

गुरां सा डाकण सब जुग खाया।।टेर।।

 

पहली डाकण सुरता कहिये,

तीनों लोक सताया।

मता कीदा स्‍वर्ग जाबा का,

सीधे ही नरक पहुंचाया।।1।।

 

दूजी डाकण भूख कहिये,

चवदा लोक सताया।

कीड़ी न लाग ब्रह्माजी तांई,

एक न छोड्यो भाया।।2।।

 

तीनी डाकण नन्‍द्रा कहिये,

पल में परले थाया।

जीवता आदमी ने सुन्‍न में गलगी,

दोड़ पता नहीं पाया।।3।।

 

चौथी डाकण लज्‍जा कहिये,

वांका अमल जमाया।

अमल जमा ने ऊंची चढ़गी,

वांका अगस बताया।।4।।

 

पांचवी डाकण मौत कहिये,

चारा का मूल कढ़ाया।

गुजर गरीबो कनीरामजी बोले,

डाकण आप बचाया।।5।।

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