आज मारो भाग जागो,
भलो ऊगो भाण है।
सन्त आया पावणा गरूदेव
आया पावणा,
मारो छूटग्यो जम डाण है।।टेर।।
सन्त आया आनन्द छाया,
आंगणे गमसाण है।
ज्ञान गोळा छूटण लागा,
टूटगी कुल काण है।।1।।
सबद सुणिया भला भणिया,
आगियो आपान है।
भरम करम विकार भागा,
तीर मार्यो ताण है।।2।।
अदर मण्डी उल्टी पेड़ी,
जाकी पड़गी जाण है।
चार पेड़ी मुगत मेड़ी,
देही में दरसे दीदार है।।3।।
कहां तो आणा कहां तो जाणा,
दिल में खुलगी खाण है।
गरू शरणे सिमरथ बोले,
बेठो मोजा माण है।।4।।
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