राम सुमर मारा भाई Ram sumar mara bhai



मना रे भाई राम सुमर मारा भाई,
सुमर सुमर फल पाया ।।टेर।।

नोय मूठ का चड़स सिंवाया,
पांचो बेल जुताया।
सतगुरु खीली समझ वाली दीदी,
प्रेम चड़स ढुलवाया ।।1।।

काया बाड़ी सींचे माली,
बंक नाल रस लाया।
उण बाड़ी को अजब फूलड़ो,
फल शशियारण पाया ।।2।।

सांचे मन सायब जी ने सिवरो,
हेरो सुन्‍दर काया।
तरबीणी का रंग महल में,
सतगरु पटा लिखाया ।।3।।

पांच तत्‍व तो परगट कहिये,
तीन गुणा की माया।
कहत कबीर सुणो भाई साधू,
गंगा गरीबी में नाया ।।4।।

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