राजा को कंगाल बणाया निर्धन के घर डेरा भजन लिरिक्‍स raja ko kangal banaya nirdhan ke ghar dera bhajan lyrics



है भगवान तेरी माया का,

कोई न पाया बेरा।

राजा को कंगाल बणाया,

निर्धन के घर डेरा ।।टेर।।


एक समय की कथा सुणाऊ,

कथा न समझो झूठी।

राजा विक्रम में बखो पडियो,

हार निगल गई खूंटी ।।


रामचंद्र बनवास सिधाये,

नगर अयोध्‍या छूटी।

लक्ष्‍मण के शक्ति बाण लग्‍यो,

जद हनुमत लाये बूटी ।।


समंदर ऊपर पुल बंधवाकर,

किया लंक घर डेरा।।1।।


एक समय की कथा सुणाऊ,

कथा न समझो झूठी।

राजा हरिचंद में बखो पडियो,

जद भर्यो नीच घर पाणी ।।


भंगी के घर राजा बिकग्‍या,

वैश्‍या के घर राणी।

सत के खातिर तीनू बिक गये,

कर गये अमर कहानी।।

 

जद विश्‍वामित्र सत् हरने को,

घर छुड़वाया तेरा ।।2।।


पंचवटी पर सुर्पणखा ने,

नाक कान कटवाया।

रामचंद्र मेंं बखो पडियो,

जद रावण सिया चुराया।।


सीता को रावण हर लायो,

मन्‍दोदरी पछताई।

हाथा मौत निसाणी लायो, 

कर गियो लंक पराई ।।


घर का भेद सभी बतलाया, 

भाई विभिषण तेरा ।।3।।


चंदेरी शिशुपाल रावजी,

फोजा लेकर आया।

हलधर हर की करे आरती,

मार मार भगवाया।।


भारत में कुटुम्‍ब के ऊपर,

अर्जुन बाण चलाया।

द्रोपदी की लज्‍जा राखी,

हरि जी चीर बढ़ाया।।


गज डूबत गजराज उबार्या,

नाम लिया प्रभु तेरा ।।4।।

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