:: पांडवाे का अबला ने मायरो ::
ले लो ले लो रामजी को नाम भाया मारा रे।
ओछी रे ऊमर में थोड़ो जीवणों ।।
परा लो मराला बसवा बीस भाया मारा रे।
ले लो ने हबोलो हरि का नाम को।।टेर।।
निकल्यो निकल्यो रेण अधेरण भीमजी पांडू रे,
कलजुग तो देखण ने डाकी निसर्यो।
रहग्या रहग्या शसत्र महलां मांय भीमजी पांडू का,
मोटा तो लकड़ा पर हाथ गाळियो।।1।।
पूछे पूछे धोबीजी ने बात भीमजी पांडू रे।
कींको तो धोवो रे बीरा धोवतिया ।।2।।
ले लो ले लो मण्डा माग्या दाम धोबी मारा रे।
मारो भी धो दे ने बीरा धोवतियो।।3।।
यो तो है खापरियो शहर मारा बीरा रे।
राजा तो अनजी का धोवां धोवतिया।।5।।
नुखल्या से खाल तुडादूं भाया मारा रे।
खाल में भरा दूं थारे लूण रे ।।6।।
कीदी कीदी हड़मत वाली हांक भीमजी पांडू रे।
धोबी तो तारां रे मण्डल पूंछग्यो।।7।।
धोबन भीमजी ने केहवे
करियो करियो गणो थे अन्याव भामजी पांडू रे।
घर तो धोबण रे वाळो भानीयो।।8।।
मरियो मरियो यो तो अणजाण बेनड़ मारी ये।
मारो तो कसूर किया मानियो।।9।।
चोखा तो चुड़लां री कोई पूरे आस थारी ये।
चोखा रे चुड़ला रो धोगी जोवज्यो।।10।।
कलजुग का प्रभाव
भाया कलजुग हेलो पाड़े रे चोड़े धाड़े।।टेर।।
देखो रे कलजुग की छाया मरदा मूंछ मूंडाई।
बेटो बाप ने धमकावे रे चोड़े धाड़े ।।1।।
बहु पलंग पे,सासू आंगणे,जेठ घूंघटा काढे।
वा तो सासू ने धमकावे रे चोड़े धाड़े।।2।।
खेल तमासा देखे गणो न,
जा होटल में खावे।
वो तो धन की धूल उड़ावे रे चोड़े धाड़े।।3।।
सामी ऊबा दर्शन दीदा मनड़ा में मुस्कावे।
जालो तीन जुग में गावे रे चोड़े धाड़े।।4।।
अबला की अरज
मैं तो सरवर पाणीड़ा ने चाली ये माय।
अबला ऊबी अरज करे।।टेर।।
मारे नहीं है जामण जायो बीर ये माय।
अबला ऊबी अरज करे।।1।।
माने कुण तो चुंदडिया ओढ़ावे ये माय।
ऊबी अबला रूदन करे।।2।।
मारे नहीं है धरम को बीरो ये माय।
ऊबी अबला रूदन करे।।3।।
बाईसा नेणा में नीर ढळकावे ये माय।
ऊबी अबला रूदन करे।।4।।
माने कुण आज धीरज बंधावे ये माय।
अबला ऊबी अरज करे।।5।।
कोई भीमजी तो भली ये बिचारी ये माय।
बाईसा रे मन आगे धीर धरे।।6।।
वे तो हाथ माय राखी बंधावे ये माय।
सरवर ऊबी बाई रूदन करे।।7।।
पहुंच्या पहुंच्या बागा रे माय भीमजी पांडू रे।
ताेडिया रे मतीरा मीठी बेल का।।11।।
जागो जागो फोजा रा सरदार भीमजी पांडू रे।
बारे तो उगाड़ा किया पोढिया।।12।।
जागी जागी द्रोपदी न सारो परिवार जी।
पांचू पांडू तो जाग्या आज जी।।13।।
दोहा: बेगी जागी द्रोपदी न ओढियो दखणी को चीर।
माता कुन्ता का लाडला न जाग्या पांचों बीर।।
बणाय लीनी धरम की बहन माता जरणी ये।
राखी तो बंधाई मारे हाथ के।।14।।
चोखो गणो करियो थे तो काम भीमजी मारा रे।
चंवरी तो मंडादूं राई आंगणे।।15।।
जावे जावे कजली बन के मांय भीमजी पांडू रे।
हाथी तो बन खण्ड वाला हेरिया।।16।।
हेर लीना सौ न पचास भीमजी पांडू रे।
गणती का लायो रे पूरा डेड सौ।।17।।
चाल्यो चाल्यो खातीजी की पोल भीमजी पांडू रे।
गाड़ी तो घड़ दे नी इछत सोवणी।।18।।
सूता हो तो बाहर आवो कंवर काना रे।
थाने तो बुलावे पांडू भीमजी।।19।।
बोली बोली रूकमण नार भीमजी मारा रे।
थारा तो भाईड़ा गिया बारणे।।20।।
चालो मारा किशन मुरार बीरा मारा रे।
मारी तो बेनड़ के भरणो मायरो।।21।।
चालो चालो किशन मुरार भाया मारा रे।
राधा तो रूकमण ने ले लो साथ में।।22।।
कृष्ण भगवान केवे
देवो नी रथड़ो जुताय राधा राणी ये।
भीमजी पांडू रे चालां साथ में।।23।।
रूणझुण रोको बैल राणी रूकमण ये।
कंवर तो कानो चाले साथ में।।24।।
चालो चालो पांडू रा सरदार बीरा मारा रे।
माता तो कुन्ता ने ले लो साथ में।।25।।
गावे गावे मायरा का गीत रूकमण राणी ये।
माता कुन्ता रो मन हरषावणो।।26।।
बेहन के द्वारे
सुणती व्हे तो बाहर आजा बेनड़ मारी ये।
थाने तो बुलावे पांडू भीमजी।।27।।
मारे हे मेली पोषाक बीरा मारा रे।
बारे रे लज्जा रे आवे आवता।।28।।
तिलक मारी माताजी के काडो बेनड़ मारी ये।
पांचा तो पांडवा की कहिये मावड़ी।।29।।
तिलक मारे अरजुण जी रे काडो बेनड मारी ये।
सोनो तो बगसेलो बीरो सोलमो।।30।।
तिलक मारे सहदेवजी रे काडो बेनड मारी ये।
गादी रो मालिक तो कहिये मोगरो।।31।।
तिलक मारे नकुलजी रे काडो बेनड मारी ये।
पांचो तो भाया में कहिये लाडलो।।32।।
आंगणिये में बावड़ी खुदा दे बीरा मारा रे।
पगां में पेजारां जिण पर राखरस्यू।।33।।
इक थम्बीयो महल चुणादे बीरा मारा रे।
या तो रे मेणी रे बीरा मेट दे।।34।।
बैनो सा ने दीजे डांवी आंख बीरा मारा रे।
या तो रे मेणी रे बीरा मारा मेट दे।।35।।।
पांडवां को अमरापुर में वास बीरा मारा रे।
माता रे कुन्ता की सुणज्यो बीणती।।36।।
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