मारी मेरम को साधू न मल्‍या मारी हेली भजन लिरिक्‍स mari meram ko sadhu na malyo mari heli bhajan lyrics


 

मारी मेरम को साधू न मल्‍या मारी हेली,

किण आगे करूला संदेश ।

मैंं  तो पुरबियो पूरब देश रा मारी हेली,

बोली लखेला कोई नर होय।।टेर।।


सेंठा से गुल नीपजे मारी हेली,

गुळ से मीठी खांड।

खांड पलट मसरी भई मारी हेली,

सतगरू को परताब ।।1।।


के तो कोरा तल भला मारी हेली,

कन लीजे  तेल कढ़ाय।

अद बचलो खराब कूलर मारी हेली,

दोय दना माये जाय ।।2।।


कड़वा पाना की कड़वी बेलड़ी मारी हेली,

कड़वा ही फल होय।

मीठा तो जद जाणजे मारी हेली,

बेल बछेवा होय ।।3।।


संध भई तो क्‍या भई मारी हेली,

चहुंदिस फूटी न बास।

माये कपट का बीजड़ा मारी हेली,

फेर उगण की आस ।।4।।


दू लागी बेला जड़ी मारी हेली,

हियो बीजा को नास।

बोल्‍या कबीरा ''धर्मीदास'' ने मारी हेली,

नहीं उगणिया री आस ।।5।।




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