धन है वांका भाग,
संगत में जावे,
सब संता में जाय,
राम रिजावे ।।टेर।।
सतसंग महिमा अपार,
पार कोई पावे।
गरू चरणां में जाय,
शीश नवावे ।।1।।
सतसंग महिमा अपार,
पार वे पावे।
पाया जो तो फेर
जनम नहीं आवे ।।2।।
सतसंग महिमा अपार,
संत सब गावे।
करोड़ गऊ दे दान
पार नहीं पावे ।।3।।
मिलिया मछन्द्रनाथ
दरसण वे पाया।
गरू चरणां में आय
गोरख गुण गाया ।।4।।
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