सीरी तनेे सन्‍त मिलिया मजबूत siri tane sant miliya majboot dhilo kaai kare



सीरी तनेे सन्‍त मिलिया मजबूत,
ढीलो कांंई करे रे संज सूत।
मन करसण करले करतूत,
जनम जनम री जाये थारी भूख।।टेर।।


कर्सण करो कमावो खेती,
क्षमा खात देह के हेति।
ऐसो मेरो सतगुरु फार्यो पीछ,
पाली पांच कुल पचीस।।1।।

धुन धोरी धर्म अरु ध्‍यान,
चित का चरस लाव लिव सांद।
सुरत नुरत मिल देवे मोड़,
माली मन कहे अब जोड़।।2।।

ओडो कुब्‍ध ख्‍यालि कर काढ़,
पाल प्रीति प्रेम सूं सांद।
चेतन पुरुष पाणतियो माय,
गम कर पांच पचीसूंं पाय।।3।।

ओ करसण करसी सन्‍ता सूर,
जद बाड़ी में बर्ते नूर ।
राम रूख फलियो भरपूर,
सीचो सांच परो कर कूर।।4।।

सत् शब्‍द सन्‍त का खेत,
''लिखमा'' कहे फलेला हेत।
फलसी नेपत नाम संभाय,
भव दु:ख जनम जनम का जाय।।5।। 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

जल ज‌इयो जिह्वा पापनी राम के नाम बिना रे JAL JAIYO JIVHA PAPNI RAM KE NAAM BINA RE

राम के नाम बिना रे मूरख  राम के नाम बिना रे, जल ज‌इयो जिह्वा पापनी, राम के नाम बिना रे ।।टेर।। क्षत्रिय आन बिना, विप्र ज्ञाण बिना, भोजन मान ...