पीर कृपा करो कर्म कट जावे धरीया हे ध्‍यान धणीया ईन्‍दा peer kripa karo karm kat jave dhariya hai dhyan



पीर कृपा करो कर्म कट जावे,
धरीया हे ध्‍यान धणीया ईन्‍दा ।।टेर।।


तंवर रामदे सिंवर होय सुख, 

दुख दारद झर जाईन्‍दा ।

परस्‍या चरण हुआ चित चेतन, 

जायो ज्‍यूं देव जुगाईन्‍दा ।।१।।


परचे कारण प्रजा सब पूजे, 

तुम नूर कला बरताईन्‍दा ।

धर इकतारी अलख निवाजे, 

मन चीत्‍या फल पाईन्‍दा ।।२।।


मुलक मुलक में महिमा थारी रामा, 

थारी थाणा थान थपाईन्‍दा ।

दुखिया होय सुखी पीर सिमरे, 

पैला पाप झड़ जाईन्‍दा ।।३।।


नव अवतार सही ब्रह्म बोले, 

दसवी कला दी जाईन्‍दा ।

जाण्‍यो जिसो जोवियो ज्‍योही, 

पार न पाया सांईन्‍दा ।।४।।


दिन दिन किरत कला सवाई, 

सुरगुण सेव सवाईन्‍दा ।

सेवा करया सरे सब कारज, 

धोक धाम सुख पाईन्‍दा ।।५।।


धजा धम री बंधी धणियांं रे, 

पुण्‍य री पाल बदाईन्‍दा ।

साध सती शरणे सुख पाये, 

जुगत कर जमा जगाईन्‍दा ।।६।।


मच्‍छ कच्‍छ हुवो तूं ही, 

हरबारा फरसराम केवाईन्‍दा ।

राम कृष्‍ण बुद्ध निकलंक होसी, 

रामो पीर पूजाईन्‍दा ।।७।।


काष्‍ट कार सुख राखी शरीरां, 

थको राखजो थाईन्‍दा ।

लज पत राख राज दो, 

रोजी गुना  बख्‍स जो माईन्‍दा ।।८।।


तुम महर करी कीरत जसगाउ, 

मिटग्‍या भरमन मांईन्‍दा ।

लिखमा कहे अलकरे ओले 

जुग जुग शरण रेवाईन्‍दा ।।९।।

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