मना भाई इण विध सिमरण कीजे,
शशी घर सूर सूर घर शशी है,
संग में सुखमण लीजे ।।टेर।।
अजपा जाप आप में दरसे,
स्वांस स्वांस गिण लीजे।।1।।
स्वांस स्वांस गिण लीजे।।1।।
चार वेद ब्रह्मा का लेकर,
पद्मासन कीजे।
शब्द तणा समसेर हाथ ले,
नगर सेेठ हो रहीजे।।2।।
पद्मासन कीजे।
शब्द तणा समसेर हाथ ले,
नगर सेेठ हो रहीजे।।2।।
नामी नाम निर्त कर केवल,
शब्द सोहम रट लीजे।
प्रेम जोत रा उड़े पतंगा,
सत बून्द बरसीजे।।3।।
बिखमी बाट में अंकरा रस्ता,
भंवर गुफा भल कीजे।
उगिया भाण बीत गई रजनी,
तिमिर दूर करीजे।।।।
गेबी गुप्त घुरे चोघडिया,
मद री आवाज सुणीजे।
सर्वज्ञी श्याम सकल घट व्यापक,
इण विध अलख लखीजे।।5।।
भीतर भय भगवत रा राखो,
थारी दुरमति दूरी कीजे।
कह ''लिखमो'' लिख लिख अणभे,
थारां दिल बिच दर्सन कीजे।।6।।
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