कर मन आवाज अलख रे द्वारे kar man awaaz alakh re dware fart fakiri



कर मन आवाज अलख रे द्वारे,

फर्ट फकीरी धीरू मन धारे, 

आत्‍म देव पुकारे ।।टेर।।


चेतन राम उतारी चीरी,
पेहल्‍या लिख्‍या पुकारे।
सांंई म्‍हाजी रोजी सकल ने पूर्वे,
जीया जूण सब सारे।।1।।

सांई म्‍हारो रोजी सकल ने दूवै,
करणी कमज्‍यां लारे।
मेली कलम ठिकाणे सेति,
सही ठिकाणे सारे।।2।।

देख्‍या भाव सकल दुनिया रां,
केई कोपे केई हारे।
कोपे ज्‍यारे कुलफ झड़ीया,
सांई म्‍हारो कोप निवारे।।3।।

घडिया देव घड़ी में घड़ीया,
सब अणघड़ के सारे।
एक घड़ी बाबो अणघड़ विचारे,
सब घडिया ने मारे।।4।।

ऐसा हवाल किया हरि अपने,
ओठे वर्ण अढारे।
कह ''लिखमाेे'' भगवत री कृपा,
भवसागर में तारे।।5।।

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