बंगला देख्या अजब बिहार,
ज्यांमे निराकार दीदार।।टेर।।
इस बंगला रे दस दरवाजा,
कोट बण्यो चहुंधार।
पांच पचीस चढ्या पाखरिया,
लूट लियो बाजार।।1।।
इस बंगला में बाजा बाजे,
झालर शंख सितार।
सत री घोर धुरी ब्रह्माण्ड में,
दशवे देव द्वार।।2।।
इस बंगला में अडसठ तीर्थ,
बीच बहे गंगधार।
झीणी चर्बी सिखर नावणो,
दुर्स करो दीदार।।3।।
इस बंगला में ''लिखमो'' लखिया,
उतरया पेले पार।
गुरु प्रताप साध की संगत,
जहां पाया दीदार।।4।।
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