बन्दा तेरा जम्या जाल किम तूटे।
हरि कृपा कर उठे।।टेर।।
सखरो सेर समझ बिन सूनो,
पांच पखारिया लूटे।
कूड़ किलोल करे माया में,
तन की तपन तूटे।।1।।
काया कोटड़ी मन मे वासी,
मकर कर कर उठे।
डरे नही डिड रह्यो मोह माया में,
गर्भ गांव किम छूटे।।2।।
जब अभिमान आप में ऐसो,
हुं हद किण विध छूटे।
भीतर फौज भरम की आई,
कुबद कोट किम टुटे।।3।।
सतगुरू मिल्या समझ जब आई,
सांच सेल ले उठे।
पांच पचीसां रेे झगड़ो मचियो,
सांच कूड़ने लूटे।।4।।
सील मोर्चा गाढ़ा रोप्या,
भजन भडि़का उठे।
गुय गम गोला लग्याेे गढ़ भीतर,
कुबद कोट ईव टूटे।।5।।
होय चेतन चित धार ले रे बन्दा,
हुं हव इण विध छेटे।
कह ''लिखमो'' जालम जंग जीता,
जम जेड़ा यूं टूूूूूटे।।6।।
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