संता करो भजन गणपत का
सिंह ने आसरा बन का, बन ने आसरा सिंह का ।।टेर।।
सुरत माय शारद सिमरू,
पढु भगवद गीता ।
गुरांपीरा ने सदाही मैं सिमरू,
कटे जाल जम का ।।1।।
सागर पर धणी सिला तिराई,
नाम लिया अवगत रा ।
राजा रावण की लंका जलाई,
हनुमत दीन्हा डंका ।।2।।
गिरवर धार गोकुल उबारियो,
झोड़ मेटिया इन्द्र का ।
सिरियादे रे आरोधे आया,
बछिया उबारिया मंजारी का ।।3।।
बेस पिपाल कालो नाग नाथियो,
सगलाई गुण गोविन्द रा ।
रूपादे रे आरोधे आया,
थाल भरिया फुलन का ।।4।।
काया नगर मे उलटाया गोला,
ठाट पार पवनरा ।
गुरूप्रताप सिवरे माली लिखमी,
नहीं भरोसा काया छन रा।।5।।
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