हां रे मारे घर आवो जी
अजमलजी रा कंवरा।
करू मनवारी ओ
मारे घर आवो तो ।टेर।
कंकु केशर की धार गलाऊ
थारो मन्दीरीयो दुवाऊ जी ।
आता दिखे कंवर जो थाके
कलश कन्दाओ दर्शन देवो तो ।1।
कोरी माटी का कलश मगाऊ
थारे मोतीया चौंक पुराओ।
अधर दराऊ बैठना धारे
चंवर दुवाओ दर्शन देवो तो ।2।
खीर खाड़ का भोजन बनाऊ
ओरी उजका भात रन्दाओ ।
चटकीया बनाऊ चुरमा माये
घीर्त मिकाऊ ओ रन्जने जीमो तो ।3।
हीगुल
पागा को ढोलीयो ढलाऊ
फुलडा सेज
रला आऊ।
तन मन धन
में कर निचरावल
भाव दुलाऊ ओ सुख भर पोड़ो तो ।4।
दुःखी ने
सुखीया करज्यों
निरधन ने धन देवो ओ।
कपटीया ने गाटा कुटजो
थाने आज दिराऊजो मारी पत मानो तो ।5।
धणीया ने धारा जो तो
अमरापुर में पाया ओ।
शंकर नाथ लिख परवाना
हाथ जेलाया ओ ओ फल पावे तो ।6।
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