थे तो कुंवरी राणी की भगती सुणलो ये माय kuwari rani ki bhakti sun lo ye maay bhajan lyrics

 

थे तो कुंवरी राणी की भगती,

सुणलो ये माय ।

दुखड़ा पे दुखड़ो बाईसा झेल लियो ।।टेर।।

 

या तो रजपूतां के घर जनमी रे माय,

माता पिता की बेटी एकली ।।1।।

 

इणके भाई बहना भी ओरी कोने रे माय ।

खाता पीता रे घर में मोटी हुई ।।2।।

 

या तो बालपणा में भगती पकड़ी ये माय ।

कीरतन करता आंसू रलक पड़े ।।3।।

 

चवदा बरस की कुंवरी हेगी ये माय ।

हंसी रे खुशी बाई को ब्‍याव कियो ।।4।।

 

कुंवरी परण सासरिये पधार्या ये माय ।

उसी रात हरिजी कोप कियो ।।5।।

 

कुंवरी का मांदा मायर बाप ये माय ।

कुंवरी के जाताई तन त्‍याग दियो ।।6।।

 

माय बापाकी मौत सुणताई ये माय ।

फूट फूट बाईसा रोय पड़ी ।।7।।

 

पीयर जाय सब कीदो काम काज ।

माय बापा का धन रो दान कर्यो ।।8।।

 

बाईसा रा सायब सावतसिंह राजपूत ।

धर्म ध्‍यान माये लाग्या रहवे ।।9।।

 

परण्‍या ने 5-6 महीना हिया ये माय ।

डस गयो सरप सांवतसिंह ने ।।10।।

 

साप खाताई प्राण छूटग्‍या ये माय ।

कुंवरी राणी के पहान टूट पड्यो ।।11।।

 

चवदा बरस की बिदवा कर दी ये माय ।

बाल रण्‍डापो बाई ने झेलणो पड्यो ।।12।।

 

घर में तो बूढ़ा सासू सुसरा ये माय ।

तीजी है विधवा बाईसा बापड़ी ।।13।।

बाईसा भारी से भारी दूखड़ो जेल्‍यो ये माय ।

आखिर में हरि चरणां जाय पड़ी ।।14।।

 

सासू न सुसराजी री सेवा करती ये माय ।

लारे की लारे भगती साजती ।।15।।

 

नेम धरम में पूरी रहती ये माय ।

गीता भगवत भी बाईसा बांचती ।।16।।

 

हेर्या बगेला वाला आता ये माय ।

कथा भगवत ने सुणबा कारणे ।।17।।

 

सासू सुसरा भी सुणता रिया ये माय ।

अन्‍त समय में स्‍वर्गा पहुंचिया ।।18।।

 

सासू सुसरा के मरिया बाद में ये माय ।

दान पुन्‍न में धन बांट दियो ।।19।।

 

घर गवाड़ी सब छोड़ ने ये माय ।

बाईसा तो वृन्‍दावन पहुंच गिया ।।20।।

 

वृन्‍दावन में तो भगती लाग्‍या ये माय ।

सन्‍यासण को भेख बाईसा पहर लियो ।।21।।

 

अन्‍त समय में स्‍वर्गा चाल्‍या ये माय ।

कुवरी राणी की भगती सांचली ।।22।।

 

भरी सभा के मायने ये माय ।

संता के शरणे माली भैरू बोलियो ।।23।।

 

तर्ज- घूमर रमबा में जास्‍या

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