यो तिरलोकी को नाथ जाट के बण गयो हाळी रे tirloki ko nath jaat ke ban gayo hali re bhajan lyrics

कुण जाणे रे माया,

श्‍याम थारी अजब निराली रे ।

यो तिरलोकी को नाथ,

जाट के बण गयो हाळी रे ।।टेर।।

 

जाट-जाटणी निरभय सोवे,

सोवे छोरा छोरी रे ।

चारभुजा रे पहरे ऊपर,

कैया होवे चोरी रे ।।1।।

 

आवे चोर जद ऊबो पावे,

श्‍याम रूखाली रे ।

सौ बीघा रो खेत जाट के,

राम भरोसे खेती रे ।।2।।

 

आधा में तो गेहूं चणा,

आधा में दाणा मेथी रे ।

चोर आवे जद चककर खावे,

जावे खाली रे ।।3।।

 

बाजरिया को राम सोगरो,

ऊपर घी को लचको रे ।

पालक की तरकारी रान्‍दे,

भर मूली को बचको रे ।।4।।

 

छाछ राबड़ी रो करे कलेवो,

भर भर थाली रे ।

सोहन लाल लौहार कहे,

वो घर भगतां के आवे रे ।।5।।


धाबलिया रे ओले बैठ कर,

खूब खीचड़ो खावे रे ।

भगता के संग नाचे गावे,

दे दे ताली रे ।।6।।


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