मैं मस्‍ताना सकल दीवाना पाव पलक की है भक्ति main mastana sakal deewana paav palak ki he bhakti

 मैं मस्‍ताना सकल दीवाना,

पाव पलक की है भक्ति।

हीरो हार्या हीरो हाथ नहीं आवे,

शीश उतार लड़ो कुश्‍ती।।टेर।।

 

राजा सिवरे प्रजा सिवरे,

पल पल सिवरे पार्वती।

शेष पियाला में बासक सिवरे,

खोज न पावे पाव रती।।1।।

 

ओहं सोहं बाजा बाजे,

वां संता की या रीती।

चोबारा में दीपक जलता,

झलमल ज्‍योति वा जलती।।2।।

 

अनहद में तो आप बिराजो,

सब धणीयां की है गिणती।

पूंगलगढ़ में पखावज बाजे,

सब धणीया की है भगती।।3।।

 

साधू होय न घट माय हेरो,

बाहर कोई भटको रे मती।

कहत कबीर सुणो भाई साधू,

अलख रटे जो खरा जती।।4।।

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