लागे ओ माने सतसंग प्यारी रे।
सत की संगत में आय ने,
सुधरो ना नारी रे।।टेर।।
सत री संगत है ,
महापुरषा की शोभा भारी रे।
अदवि पापी जीवा ने,
पार उतारे पर उपकारी रे।।1।।
सत री संगत ले ,
मीरां बाई हिरदे धारी रे।
रविदासजी ने सतगरू कीना,
बेग उबारी रे।।2।।
भगत प्रहलाद जुगत से जीवे,
भुवा ने बाळी रे।
सरियादे ने सतगरू कीना,
मोगस त्यारी रे।।3।।
सतियां में एक सति अनुसुया,
धिन धिन नारी रे।
छ: छ: महीना रा बालक कीना,
भिक्षा डारी रे।।4।।
रामाशंकर सतसंग महिमा,
सबने प्यारी रे।
रावत रामजी सतगरू मिलिया,
भरकी डारी रे।।5।।
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