कहकर जो नट जाय दान के देने की kah kar jo nat jay daan ke dene ki

 

कहकर जो नट जाय,

दान के देने की।

फिर खोटी जूण में जाय,

जगह नहीं रहने की।।टेर।।

 

मनख जूण में साथ थे,

दोनों दोस्‍त हर्षाय।

सियार वानर क्‍यू बणे,

दूजी जूण के माय।

दोनों की सुण लो राय,दान के...।।1।।

 

वानर पूछ्यो सियार ने,

पूर्व जनम के माय।

कोन पाप तूने किया,

जो मरगट मुरदा खाया।

थू कह दे मसाणा माय;दान के...।।2।।

 

सियार कहे सुण बान्‍दरा,

मैं कीदो मोटो पाप।

ब्राह्मण ने देबा की कहकर,

नटग्‍यो बिलकुल साफ।

ज्‍यू सियार बण्‍यो में आय;दान के...।।3।।

 

सियार बन्‍दर ने पूछ लियो,

पाप कर्म की बात।

किस कारण बन्‍दर बणा,

डाल डाल पर जात।

दोड्यो फरे दिन रात,दान के...।।4।।

 

ब्राह्मण का फल चोर कर,

खा जाता दिन रात।

इस कारण बन्‍दर बणा,

सुणले मारी बात।

कहे भैरूदास बतलाय,दान के।।5।।


तर्ज- चेला झूठो कुटम्‍ब परिवार

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