आज रो आनन्द मारे सतगरू आया है।
सतगरू आया मेरा बन्धन छुड़ाया है।।टेर।।
मोतियो को चौक थयो,
माणक प्रकाश भयो।
सतगरू बैठा चौक में,
जुगती लगाय के।।1।।
आतमा उजास भयो,
हिये को अन्धेरो गयो।
जम सिर मारी लात,
तिनका तोड़ाया है।।2।।
लाया है परवाण पान,
सबद सुणाया कान।
हाथ में नारेल लेके,
अभय पद पाया है।।3।।
जिण घर आया साद,
सकल मिटाया वाद।
अरस परस होय,
करम कटाया है।।4।।
साहिब कबीर सा ब्रह्म,
ताको नहीं लागे कर्म।
जीवों री बन्दी छोड़,
काल से बचाया है।।5।।
धर्मी दासन का दासा,
रखिये तुम्हारे पासा।
चरणो की ओट ले के,
पार लगाया है।।6।।
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