सांवरिया से मिलबा चालो ऐ,
सजो सिणगार।।टेर।।
पतिव्रता नार पिया बिन तरसे,
दरसण री बलिहार।
बन शक्ति नगर ने तार्यो,
तार्यो लारम लार।।1।।
माला फेरे सूरमो सारे,
जीबा में धुरकार।
विषया संग में फिरे दिवानो,
जमराणो लारम लार।।2।।
नारद मुनी ध्यान लगावे,
आठ पोहर इकसार।
स्वर्ग जाता पाछा फेर्या,
नहीं मिल्या करतार।।3।।
राणो मीरां पर कोपियो,
काढ़ी घर के बाहर।
मीरां बेरागण राम की,
राणोजी गयो है हार।।4।।
नाथ गुलाब मिल्या गुरू पूरा,
दियो शब्द तत्सार।
भवानीनाथ सतगरूजी के शरणे,
अमर चूड़ो आधार।।5।।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें