पियाजीऊ मिलबा चालो हेली शुभ सिणगारो piyaji milba chalo heli subh singaro

जल और जतन तन पर डालो,

कचरा ने परो निवारो।

मान मायला ने धोय परे,

साफ करो तन सारो।।1।।


पियाजीऊ मिलबा चालो हेली,

शुभ सिणगारो हेली सारो ही सिणगारो।।टेर।।


ज्ञान घाघरो पहर सुहागन,

नेम नाड़ा ने सारो।

गुरगम गांठ जुगत कर दीजे,

लोक हंसेलो सारो।।2।।


चेतन चूंदड़ी ओढ़ सुहागन,

प्रेम पटली पाड़ो।

लहर गोठे कोर दुवाले,

जद्या रीजे पिव थारो।।3।।


ओर पिया मारे दाय न आवे,

अखण्‍ड अमर वर मारो।

इण पिया से लग रही ताली,

पलक न रेऊ न्‍यारी।।4।।


नाथ गुलाब माने पूरा मलिया,

दियो सिवरण को सारो।

भवानीनाथ सतगुरां शरणे,

सहजा ही लगायो किनारो।।5।।

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