ओसर आयो रे मारा मनवा,
ओसर आयो रे।
चूके मत ना चाल,
काल सिर ऊपर छायो रे।।टेर।।
कृपा हुई करता की,
जब तूने नर तन पायो रे।
लावो ले सुक्रत को करले,
चित को चायो रे।।1।।
विषवत त्याग विषय को,
मन से क्यू सकुचायो रे।
विषयन में रत रहता सो,
अपणो जनम गमायो रे।।2।।
इन्द्रीया को रस भोगत तो,
सब जूण में पायो रे।
मानुष जनम मुगती को साधन,
वेद बतायो रे।।3।।
भरम त्याग अब जाग,
नींद से गुरा जगायो रे।
ले करवट अब मत सो पीछे,
दन उग आयो रे।।4।।
कृपा करी गरूदेव ज्ञान दे,
तिमिर नशायो रे।
विष्णु ईस अचल अविनाशी,
घट घट छायो रे।।5।।
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