क्यू रूस गयो रे भगवान,
खाले खिचड़लो।।टेर।।
दादो गयो है गांवड़े,
दादा बना नहीं आवड़े।
के जाणे कद बावड़े,
मने मंदर गयो रे भलाय।।1।।
करमा बेटी जाट की,
बात करे एक आंट की।
घी गालूं भर बाटकी,
थने खाटो देऊ गाल।।2।।
घड़ी घड़ी आडो जुड़े,
ठाकुर सूं करमा लड़े।
क्यूं ठाकुर भूखा मरे,
थारा भूखा रा चपक जासी गाल।।3।।
खीचड़ो खायो नहीं,
मन में रोस मायो नहीं।
परदो याद आयो नहीं,
मैं परदो गई हूं भूल।।4।।
धाबलिया रो परदो करियो,
जद ठाकुर अरपण करियो।
करमा को सब दुखड़ो हरियो,
वो तो भोला को भगवान।।5।।
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