भाई रे मत दीजे मावड़ली ने दोष,
करमा की रेखा न्यारी न्यारी।।टेर।।
एक मायड़ के बेटा चार,
चारां की करणी न्यारी न्यारी।
पहलो राजाजी रे दरबार,
दूजोड़ो हीरा पारखी।
तीजो बणजारा री हाट,
चोथोड़ो फेर पुणीया।।1।।
एक माटी का बरतन चार,
चारां की करणी न्यारी न्यारी।
पहले में दहीयो बलोय,
दूजो मसाणे चालियो।
तीजो पणिहार्या रे शीश,
चोथोड़ो मीदन बाडियो।।2।।
एक गऊ के बछड़ा चार,
चारां की करणी न्यारी न्यारी।
पहलो सूरज जी रो सांड,
दूजोड़ो शिव रो नान्दीयो।
तीजो घाणी वालो बैल,
चोथो बिणजारो लादियो।।3।।
एक बैलड़ के तूम्बा चार,
चारां की करणी न्यारी न्यारी।
पहलो पहलो सतगरू जी रे द्वार,
दूजोड़ो जल जमना भर्यो।
तीजो तन्दूरा री बीण,
चोथोड़ो भीक्षा मांगरियो।।
कह गया दास कबीर,
करमा का भारा मेट दो।।4।।
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