बापजी वो राज,
नहीं सुणो माता मेणादे की आण।
नहीं सुणो पिता,
अजमालजी की आण।
साधा की सायल,
सुणो धणी रामा है जी।।टेर।।
बापजी वो राज
पेली आता ढील नहीं करता।
ज्यूं आती बछल्या पर गाय,
नहीं
सुणो माता।।1।।
बापजी वो राज
हरचंद हेत धण्या से राख्या।
बिकग्या हाथो हाथ,
नहीं सुणो माता।।2।।
बापजी वो राज
पंडवा जो प्रीत रामजीऊ राखी,
केरू पांडवा के भारत रचिया।
आम्बा की बैला आरोध्या आय,
नहीं सुणो माता।।3।।
बापजी वो राज,
राजा बल के आप पधार्या,
बावन रूप कियो अवतार।
तीन पावडा धरण मापी,
पाल्या पण्ड पराई काया,
नहीं सुणो माता।।4।।
बापजी वो राज,
भगत प्रहलाद ने बहुत डराया,
नरसिंग रूप कियो अवतार,
खम्भ फाड़ धणी दरसण दीना,
नहीं सुणो माता।।5।।
बापजी वो राज
हरि चरणे खाती बगसो जी बोले,
जुगां जुगाऊ लागा थाकी लार।।5।।
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