आवे नहीं जावे मरे नहीं जन्मे,
नहीं धूप नहीं छाया,
ऐसा अणगड़ धाया।।टेर।।
माता नहीं जद जनम हमारा,
न कोई ओदर आया।
दाई मांई का काम नहीं रे,
न कोई जापा जणाया।।1।।
धरती नहीं जद धूणा हमारा,
बना अगनी तप लग्या।
हाड़ मांस बिना लिया लंगोटा,
बना नीर में न्हाया।।2।।
बिना गहरू में भंगवा रंगिया,
बन घर अलख जगाया।
बना जोली में सब जुग मांग्या,
बना भूख में खाया।।3।।
पग बना पंथ नेण बना नरखिया,
बना जीब्या गुण गाया।
नांवा में इक नाम नरमलो,
सतगरू मोह बताया।।4।।
माने मल्या मछन्दर जोगी,
भिन्न भिन्न कह समझाया।
कहे गोरखजी सुणो कबीरा,
आपू में आप समाया।।5।।
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