सेवा मारी मानो स्वामी रे सुंडाला,
पूजा मारी मानो गणपत गवरा।
खाेेेलो मारा हरदा रा ताला वो जी ।।टेर।।
जल तो चढ़ाऊ देवा नहीं रे अछूता।
जल ने तो मछलिया बटालिया वो जी ।।1।।
दूध रे चढ़ाऊ देवा नही रे अछूता।
दूध ने तो बचिया बटालिया वो जी ।।2।।
धूप तो चढ़ाऊ देवा नही रे अछूता।
धूप ने तो अगनी बटालिया वो जी ।।3।।
लाडू तो चढ़ाऊ देवा नही रे अछूता।
लाड़वा ने तो मांखियां बटालिया वो जी ।।4।।
फूलड़ा चढ़ाऊ देवा नही रे अछूता।
फूलड़ा ने तो भंवरा बटालिया वो जी ।।5।।
शबद चढ़ाऊ देवा नही रे अछूता।
शबद ने तो जीब बटालिया वो जी ।।6।।
शीश चढ़ाऊ देवा नही रे अछूता।
शीश ने तो छरिया बटालिया वो जी ।।7।।
मछन्दर प्रताप जती गोरख बोले।
सत न धर्म अछूता है वो जी ।।8।।
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