मैं अर्ज करूं गुरां थाने ,
चरणां में राखज्यो माने।
मारी लाज शरम सब थाने,
चाहे चोड़े सुणो चाहे छाने ।।टेर।।
गुरु, भाई बन्धु पितु माता,
मारे कोई साथ नहीं जाता।
थे तारण तरण गुरुदाता,
यूं चारो वेद गुण गाता ।।1।।
गुरु आप बड़े उपकारी,
सब जीवां के हितकारी।
माने आयो भरोसो भारी,
नहीं छोडू शरण तुम्हारी ।।2।।
भव सागर है भारो,
माने सूजत नाही किनारो।
मारी नैया ने पार उतारो,
जरा घट में दया बिचारो ।।3।।
गुरु तन मन धन सब थारो,
चाहे शीश काट लो मारो।
यूं राम दरियाव पुकारो,
मैं चाकर हूं चरणां को ।।4।।
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