इण संखण के नहीं लागे,
भाया लाख करो उपदेश ।।टेर।।
या आठ बज्यां की ऊठे,
फिर बाल बच्या ने कूटे।
या झगड़ा करती झूठे रे,
खुल्या रखावे केश ।।1।।
या ऊंची नीची जांके,
फिर लाेट्या बरतन फांके।
या पुरुष पराया ताके जी,
हरदम करती कलेश ।।2।।
या हरदम सांमी बोले,
छाती का छोडा छोले।
या कुकर्म करती ओले रे,
भाया को परवेश ।।3।।
या टेम गपा में खोवे,
फिर मोड़ी रोटी पोवे।
कोई सीख देवे तो रोवे रे,
या उल्टी करती बेश ।।4।।
या धड़ी धड़ी तो खावे,
फिर नींद गणेरी आवे।
या साफ सूफ नहीं न्हावे रे,
पड़ी रेहवे ज्यूं भेंस ।।5।।
बायां थे सुणजो हेलो,
थे शीश चरणां में मेलो।
भाई ''खुमाराम'' मत फेलो रे,
भूंडो हे यो देश ।।6।।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें