तूही एक एक तूं ही मेरो दाता tu hi ek ek tu hi mero data tera bhed birla paaya



तूही एक एक तूं ही मेरो दाता,

तेरा भेद बिरला पाया।।टेर।।


सुरता चली अपने पीया मिलन को,

नुरत का मार्ग लिखाय लाया।

मढी बिना एक मर्दंग बाजी,

ताल बजाय निज लागा।।१।।


हर हीरा री हाट मंडाणी,

सब साधु सोदे आया।

धर्म दलालण परखण बैठी,

परख परख निज नाय लाया ।।२।।


नुरता रे उभी श्‍याम सरोदे,

लट घुंघर उवेरी दृद माया।

बंक नाल री खुुल गई खिड़की,

लहर महर गुरू बख्‍साया।।३।।


उंचा महल उंची हद महड़ी,

अमर म्‍हा वांरी हद छाया।

उण छाया में म्‍हारो अलख बिराजे,

वांरा दरस बिरला पाया।।४।।


सांचा भगत गुरां जी रा सांचा,

राय नाय से रिझाया।

मिट गई पीड़ गुरूजी रे शरणेे,

''माली लिखमो'' जस गाया।।५।।   

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

जल ज‌इयो जिह्वा पापनी राम के नाम बिना रे JAL JAIYO JIVHA PAPNI RAM KE NAAM BINA RE

राम के नाम बिना रे मूरख  राम के नाम बिना रे, जल ज‌इयो जिह्वा पापनी, राम के नाम बिना रे ।।टेर।। क्षत्रिय आन बिना, विप्र ज्ञाण बिना, भोजन मान ...