सन्‍ता भरम्‍या भरम बतावे वारे हाथ कछु नहीं आवे santa bharmya bharam batave vaare haath kachu nahi


 

सन्‍ता  भरम्‍या  भरम बतावे,

वारे हाथ कछु नहीं आवे।।टेर।।


बिन प्रतीत पिया नहीं पर्चे,

क्‍या होवे सेध सम्‍भावे।

धोखे ध्‍यान लगन नही लागी,

झूठो जग भरमावे।।1।।


हर प्रपच प्रमोद हलावे,

गम बिना ज्ञान दिठावे।

दिल दुरायंत गई न सांयति,

आई मैं बड़ मान बढ़ावे।।2।।


दीसत् रूडा कर्णीरा कूडा,

पर क्रिया पर चावे।

अन्‍ध रहे अजण में उलज्‍यो,

आवत अलख न पावे।।3।।


तन मन सज्‍यो न साहिब सिमर्यो,

कर पाखण्‍ड पुजावे।

काम बन्‍ध्‍या नर करे सुर्खाई,

सो क्‍यूं साध कहावे।।4।।


तन मन साज समझ रहे मन में,

कर्ता सूंं लिव लावे।

जग रूठा रहता सूं राजी,

जीवन मूंवा लखावे।।5।।


धर विश्‍वास बसे हरि भेला,

अवगत गया न आवे।

''लिखमो'' लाग समझ भज वांकू,

आप आप कूं गाावे।।6।।

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