समझ मन मत भूला संग होय samaj man mat bhula sang hoy bhulane bhav upaje



समझ मन मत भूला संग होय,

भूलाने भव उपजे,

हार जन्‍म जावे खोय।।टेर।।


माया बन अंधार में,

भूल रहया सब कोय।

जिन जण्‍यां वहां पहुंचियां,

आदु अस्‍थल जोय।।1।।


दिसत पंथ दोयलरो,

चालतड़ा सुख होय।

गुरू गम सूं गेलो मिल्‍यो,

चाल रह्या क्‍यूं सोय।।2।।


बट फेरूं इण बाट में,

सांसो दुर्मत होय।

शब्‍दावला सो साथ ले,

थारी बस्‍ती में विघ्‍न न होय।।3।।


 हरि रस्‍ते हरिजन चले,

सन्‍त रमिजबा हाले।

चौका तीन पूरले,

चौथे निर्भय होयले।।4।।


''लिखमा'' विखमी बाट है,

गांव गया गम होय।

उ‍हां रहता को राज है,

वसे बसीरा होय।।5।।


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