मन तत वाली प्याली पायो,
सरस प्रेम रो पीयो।
जनम मरण री गम नहीं,
सतगुरु शब्दा लीयो।।टेर।।
धरा गाजे अम्बर भीजे,
बरसे अमृत धारा।
अटल कंवारी प्याला भर देवे,
पीवे नर सचियारा।।1।।
बंक नाल धवण ने धूबै,
ब्रह्म अग्नि पल जागो।
इंडा पिंगला सुखमणा,
त्रिकुटी ताली लागो।।2।।
सोवन सिखर में बैठ झेलत है,
प्याला गुरु गम लेणा।
चन्द्रमा सूर्य दोनों सखिया,
साधु सन्मुख रहणा।।3।।
बिन दीपक एक ज्योति जगत है,
घृत बिन जागी जोत।
''लिखमा'' बोलियो आगम बिरला,
जीवत पावे मोक्ष।।4।।
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