बाबा अलख तूही ऐसा ख्‍याली खालक जैैैसा baba alakh tu hi aisa khyali khalak jaisa



बाबा अलख तूही ऐसा.

ख्‍याली खालक जैैैसा।।टेर।।


कोई कोई ठोड़ हुवो सिद्ध स्‍वामी,

कहीं साध कहीं सेवा।

कोई कोई ठोड़ हुवो दासा तन,

तू सेवक तू देवा।।1।।


किमि नर ऋषि मुनि होय बन बस्‍ता,

कोई ठोड़ दुधाधारी।

कोई ठोड़ दाता कोई ठोड़  मंगता,

कही होवे अल्‍प अहारी।।2।।


कोई ठोड़ राजा कोई ठोड़ प्रजा,

कही हाकम होय हुकम हलावे।

कोई ठोड़ चिठियो चाकर होवे,

या विध आवाज आवे।।3।।


कोई ठोड़ पण्डित कोई ठोड़ काजी,

कोई ठोड़ ज्ञान दिठावे।

कोई ठोड़ ध्‍यान धरे तूही तेरा,

पूजे तूही पूंजावे ।।4।।


कोई ठोड़ बकता कोई ठोड़ सीखता,

कोई ठोड़ हवाल खुशियाली।

कोई ठोड़ गावे कोई ठोड़ रोवे,

कोई हंंस हंस देवे ताली।।5।।


जड़ चेनत तूही तीन लोक में,

सकल दीप विस्‍तारा।

सामिल रूम रूम सर्वंज्ञी,

निगे करूं जब न्‍यारा।।6।।


एक मेक होय सकल समावे,

पावे पद निर्वाणी।

''लिखमा'' ख्‍याल लखे कोई ऐसा,

ज्‍यां पद जावे कुरबाणी।।7।।

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